Hindi Shayari Hindi Font- ShayarAshiq 2019
ज़ुबां को रोको तो आँखों में झलक आता है
ये जज़्बा-ए-इश्क है इसे सब्र कहाँ आता है।
ये जो जून के बादल है ये तुम जैसे है
आस तो दिलाते है, मगर बरसते नहीं।
बहार की थी मगर ,रुत वो हम पे भारी थी
तेरे बग़ैर कभी हम ने जो गुज़ारी थी
फिर उसके बाद कभी भी बुरी नज़र न लगी
कि माँ ने ऐसी हमारी नज़र उतारी थी
निहत्थे लोगों पे हमला बहादुरी है तो फिर
वो जंग तुम भी न जीते जो हमने हारी थी|
मैं तब भी झुक कर बांध दूंगी तुम्हारे जूतों के फिते...
हाँ उस उम्र में भी जब मेरे घुटनों में दर्द होगा!
जहां रुक जाऊं
वहीं
मिल जाना तुम
इस
भीड़ में मुझे,
कोई
अपना भी चाहिए..!!
मैं नही लिख पाऊंगा कुछ,
शब्द कम, इश्क़ ज्यादा है..
तुम मुझे पड़ना छोड़ दो
मैं तुम्हे लिखना छोड़ दूंगी।
कपड़े सुखाने उसे गिनती के चार थे
सौ बार छत पे आई और में समझ ना सका
बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में।
बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में।
इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में।
ये कह के टूट पड़ा शाख़-ए-गुल से आख़िरी फूल
अब और देर है कितनी बहार आने में।
एक शम्मा अंधेरे में जलाए रखना,
सुबह होने को है मौहौल बनाए रखना,
कौन जाने वो किस गली से गुज़रे,
हर गली को फूलो से सजाए रखना!
देखकर पलकें मेरी .....
कहने लगा कोई फक़ीर....
इन पे बरख़ुरदार .....
सपनो का वज़न कुछ कम करो....
बड़ी ही मासूमियत से नाराज़ हुआ करती है वो
जब भी गुस्सा होती है अपनी जुल्फें बांध लेती है|
ना जगाओ नींद से उस आशिक़ को,
आज कई दिनों बाद सोया लगता है!
कुछ आँखों में उसकी नशा भी है,
मय में खुद को डुबोया लगता है!
देखो गीला है तकिया भी उसका,
आज तो जी भर के रोया लगता है!
शायद कुछ दर्द कम हुआ है उसका,
आज ही जख्मों को धोया लगता है!
आज बेफिक्र है जैसे कुछ बाकी नही,
इश्क़ में देखो सब कुछ खोया लगता है।
खामोश रहने पर भी उसे हो जाती थी फ़िक्र मेरी……
अब तो आँसू बहाने पर भी कोई जिक्र नहीं होता।
पहली नज़र, पहली दोस्ती, पहली मोहब्बत...
भूल जाने की बात तो नहीं होती...!
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे ,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे ,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे ,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
जख्म कहां कहां से मिले है, छोड़ इन बातो को..
जिंदगी तु तो ये बता, सफर कितना बाकी है....
शीशें की तरह आर-पार हुं,
फिर-भी बहुतो के समझ से बहार हूं।
ज़ख़्म खाकर चुप रहे हम, तो नतीजा ये हुआ !
हर गली में पत्थरों के बोलबाले हो गए !!
वो वक़्त ही बीत गये जब इश्क़ हुआ करता था...
आज के वक़्त मे तो इश्क़ बस हैं सज़ा.....
बेबसी, बेखुदी, बेदर्दी और बेवफ़ाई...
इनके अलावा कुछ मिला किसी को इश्क़ में ?
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना
अच्छा नहीं है इतना भी बड़ा हो जाना।
2 Comments
💘 Awesome👏✊👍
ReplyDeleteAs always
ReplyDeleteThank You! for your valuable time.